हमने 7 बार तेल की कीमत कम की, सरकार का फोकस काला धन वापस लाने परः जेटली

वित्तमंत्री अरुण जेटली
एजेंडा आजतक 2014 के 'मोदी सरकार के मास्टरमाइंड' सेशन में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपनी बात रखी, उनसे बात की कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने. पढ़िए वित्तमंत्री से बातचीत के प्रमुख अंश..
सवालः क्या देश में अच्छे दिन आएंगे, क्या अच्छे दिन आ गए हैं?
जवाबः मुझे लगता है कि अधिकतर लोगों के लिए आ गए हैं. लेकिन कुछ लोगों को कष्ट भी हो रहा है. पहले हर छह महीने में घोटाले सामने आते थे. पौने दो लाख करोड़ के स्कैम. आज देश की छवि सुधरी है. हम प्रयास कर रहे हैं ये और सुधरे.
सवालः क्या सरकार में भ्रष्टाचार नहीं है?
जवाबः पिछले पांच साल में कोयले के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ. आज हम सरकार में बहस कर रहे हैं कि सरकार का ऐसे फैसलों में दखल खत्म हो. यानी सरकार सिस्टम पारदर्शी बना रही है.
सवालः ये तो यूपीए भी करना चाहती थी? जनधन योजना भी पिछली सरकार लाना चाहती थी?
जवाबः पिछली सरकार सिर्फ कहती रही. दस साल में सिर्फ घोटाले हुए. हमने जनधन योजना लागू की. गुरुवार शाम तक आठ करोड़ 80 लाख अकाउंट खुल चुके हैं. मुझे मनमोहन सिंह की नीयत पर शक नहीं है, लेकिन उनकी सरकार में कुछ ऐसे प्रभावशाली लोग सोशल स्पेंडिंग के नाम पर अर्थव्यवस्था को 8.4 ग्रोथ रेट से 4.8 तक ले गए. हमने तो अब तक सात बार डीजल-पेट्रोल की कीमत कम की है. कुछ पैसा सरकार के खजाने में भी ले गए हैं.
सवालः 8 प्रतिशत ग्रोथ कब तक हासिल हो पाएगी?
जवाबः अगले साल तक हम 6-6.5 प्रतिशत ग्रोथ रेट पर इकोनॉमी को ले जाएंगे. उसके बाद हम 8 प्रतिशत ग्रोथ रेट के टारगेट को हासिल करने की कोशिश करेंगे.
सवालः जीएसटी आएगा, लेबर रिफॉर्म आएगा, हम तो सुनते हैं स्वदेशी जागरण मंच विरोध कर रहा है?
जवाबः देखिए इस सरकार में ताकत ये है कि विचार स्पष्ट हैं. हमें बजट फोबिया नहीं है. रिफॉर्म की प्रोसेस साल भर चलनी चाहिए.
सवालः आपने काले धन पर वादा किया था, लालू आरोप लगा रहे हैं?
जवाबः देखिए एक अपराध हुआ है कि कुछ लोगों ने पैसा गलत तरीके से बाहर भेजा है. उस अपराध का सबूत विदेश में है. उसे वापस लाने को लेकर हमारा सरकारों से समझौता है. उसकी अपनी भाषा है, कार्रवाई का अपना तरीका है. जिस दिन लालू या मुलायम सिंह ये समझ जाएंगे, आरोप लगाना बंद कर देंगे.
सवालः राम जेठमलानी ही कहते हैं कि बडी मछलियां तो देश में ही हैं?
जवाबः देखिए यदि हम ये सुझाव मान ले, तो अकाउंट होल्डरों की ही मदद होगी.
सवालः बड़ी मछलियां पकड़ी जाएंगी?
जवाबः कोई नहीं बचेगा, उसमें ऐसा कोई नाम नहीं है, जो बच पाएगा.
सवालः मंत्रियों के लिए अच्छे दिन आए या नहीं?
जवाबः देश को आदत पड़ गई थी ऐसे प्रधानमंत्री की जो निर्णय ही नहीं लेता था. अब एक ऐसा लीडर है जिसका प्रभाव है, तो मंत्रियों को उसे सुनना ही चाहिए. कल शाम इंश्योरेंस पर रिपोर्ट आई, फिर जीएसटी पर रिपोर्ट डिस्कस की. अब यदि काम न करें, तो कहा जाएगा पुरानी सरकार जैसा ही है, काम करे, तो कह रहे हैं कि वन-मैन शो है.
सवालः ये कैसा कैबिनेट है, जहां एक तरफ हैं अरुण जेटली और दूसरी तरफ साध्वी निरंजना?
जवाबः इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, उनके बयान पर प्रधानमंत्री ने बात स्पष्ट कर दी है. लेकिन साध्वी निरंजना जिस बैकग्राउंड से आती है, जहां पिछड़ा वर्ग है, दलित हैं. हमें इस मामले को सोशल एलीटिज्म से अलग करके देखना चाहिए.
सवालः आप सरकार में नंबर 2 हैं?
जवाबः मेरा कोई नंबर नहीं है, मैं सबसे पीछे खडा हूं.
सवालः अडानी मोदी के अजीज हैं सिर्फ इसलिए उन्हें एक टेबल पर बड़ा लोन अप्रूव हो जाता है?
जवाबः उन्होंने एक बैंक से लोन लिया, बाकी सब कल्पना है कि प्रधानमंत्री ने बुलाकर एसबीआई चेयरमैन को लोन देने के लिए कहा. वैसे मौजूदा दौर में यदि कोई भारतीय बैंक से लोन ले रहा है, तो समझदारी नहीं कर रहा. क्योंकि विेदेशी बैंक और फाइनेंस इंस्टीट्यूशन सस्ता फाइनेंस तैयार करने के लिए तैयार बैठी हैं.
सवालः इकोनॉमी में कोई बडा फैसला नहीं लिया, जिससे देशी या विदेशी निवेशकों में भरोसा जगे?
जवाबः प्लानिंग कमीशन का ढांचा बदलना, इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व लाना बड़ा फैसला नहीं है. डीजल को मार्केट से लिंक करना बड़ा कदम नहीं. मैं संसद में पूछ रहा हूं कि एलपीजी की सब्सिडी का फायदा हमें क्यों मिले.
सवालः आप वित्त मंत्री हैं, सूचना प्रसारण मंत्री हैं, कॉरपोरेट अफेयर्स भी देखते हैं और बीच-बीच में बीसीसीआई को दखल देते हैं. कैसे कर लेते हैं इतना सब इतने कम समय में?
जवाबः जिस जिम्मेदारी का आखिरी में जिक्र हुआ, वह अब नहीं है. बाकी मैं टीम वर्क में भरोसा रखता हूं. फील्डिंग, बैटिंग, विकेटकीपिंग, जो करने को कहा जाता है, कर लेता हूं.

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